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Pran Yog Therapy

Pran Yog Therapy
Bapuji

Features of Pran Energy Therapy

100% Development of Sahasrara Chakra
Chakra System

Pran Yog therapy balances the subtle body's aura, seven chakras, five prans, five koshas, 72,000 nadis, three gunas, five elements, and mind's energy. Imbalances in these cause physical, mental, and spiritual problems.

The therapy identifies imbalanced energy and balances elemental energies, accelerating healing through delta waves. Rapid breathing expels acidic substances, making the body alkaline and naturally curing many diseases.

Ancient wisdom meets modern science: Rishi Vagbhata (3000 years ago) and Dr. Otto Warburg (Nobel Prize, 1931) both linked excessive acidity to incurable diseases.

"No disease, including cancer, can exist in an alkaline environment" - Dr. Otto Heinrich Warburg

Why Pran Yog is Beneficial for You and Your Family

  • Based on ancient, profound knowledge from sages.
  • Helps in stress reduction and promotes overall relaxation.
  • Improves sleep quality and helps combat insomnia.
  • Enhances focus, concentration, and mental clarity.
  • Boosts the immune system, helping the body fight off illnesses.
  • Promotes emotional balance and stability.
  • Aids in detoxification of the body through natural processes.
  • Increases vitality and overall energy levels.
  • Supports better digestion and metabolism.
  • Helps in pain management for various chronic conditions.
  • Enhances respiratory function and lung capacity.
  • Promotes better circulation and cardiovascular health.
  • Suitable for all age groups, from newborns to centenarians, and beneficial for the sick, disabled, and weak.
  • Can be practiced anytime, anywhere, and in any condition, providing immediate effects without medication or side effects.
  • Balances pran, chakras, and the five elements, enhancing physical, mental, and spiritual health.
  • Addresses past, present, and future aspects, rebalances blocked energies in the body, and uses natural substances in treatment.
pranyog





जोड़ों की समस्या

जोड़ों की समस्या से मुक्ति

अनियमित जीवनशैली, एसिडिक खाद्य पदार्थों का सेवन ,आराम पसंद आधुनिक जीवन शैली ,खाद्य पदार्थों में मिलावट, प्रकृति से दूरी ,एक्सीडेंट, मोटापे, गठिया बाय, अधिक कमजोर होने या फिर बढ़ती उम्र ,अखाद्य वस्तुओं का सेवन के चलते आज घुटनों का दर्द विश्वव्यापी समस्या बन गया है इसका जैसे-जैसे इलाज किया जा रहा है मर्ज और भी बढ़ता जा रहा है इस महामारी के सामने सभ्य समाज अपने आप को पूर्णता असहाय महसूस कर रहा है एलोपैथी में डॉक्टर इसका इलाज घुटनों को बदलवाने की सलाह ऐसे देते हैं जैसे घुटने नहीं कपड़े बदलना हो, घुटने बदलने के बाद कुछ समय तात्कालिक आराम मिलता है परंतु समस्या फिर विकराल रूप से प्रकट हो जाती है भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने घुटनों के ऑपरेशन के बाद और अधिक कष्ट में जीवन जिया और फिर कभी पैरों के बल खड़े नहीं हो सके इस विकराल समस्या का समाधान आप प्रकृति के साथ जुड़कर स्वयं कर सकते हैं

yoga pose
आहार और घुटनों की समस्या

आहार

भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते है ----- युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु । युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा ॥ अर्थात जिन लोगो का आहार विहार नियमित रहता है, उन्हें कोई भी बीमारी स्पर्श भी नहीं कर सकती है | आहार का घुटनों की समस्या से बहुत घनिष्ट सम्बन्ध है , नॉवेल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. ओटो वान वर्ग लिखते है, कि कैंसर , घुटनों की बीमारी, उच्च रक्तचाप , थाइरॉइड, हृदय रोग , किड़नी रोग सहित लगभग १००० बीमारियाँ एसिडिक भोजन करने से ही उत्पन्न होती है | हमारे भोजन में ८० प्रतिशत भाग छारीय { एल्केलाइन } और २० प्रतिशत भाग अम्लीय { एसिडिक } होना चाहिए | पर होता उल्टा है, जिसके कारण हम अनेक बिमारियों के शिकार हो रहे है, हमारे भोजन में तीन हमारे दुश्मन है, जिन्हे हम चाहकर भी नहीं छोड़ सकते , अगर आप घुटनों की समस्या से निजात चाहते है तो आपको आज जो बताया जा रहा है, उसका पूरी तरह से अनुसरण करना होगा | १. नमक - समुद्री नमक अनेक बीमारियों की जड़ है , यह समुद्री जीव जन्तुओं के अवशेषों से बनता है, जो जोड़ों में होने वाली परेशानियों की प्रमुख जड़ है , समुद्री नमक में सोडियम होता है, जिसकी उपस्थिति में कोशिकाएं पानी को अवशोषित कर लेती है, फलस्वरूप जोड़ों में सूजन उत्पन्न होती है | मुस्लिम समुदाय के लोग मरने के बाद शव को गाड़ने पर नमक डाल देते है, और ५-६ महीनों में हड्डियाँ भी गल जाती है , हम वर्षो से इसी नमक को अपने शरीर में डालकर , सम्पूर्ण शारीर को गलाने का काम कर रहे है. फिर आप बिना नमक छोड़े अपने घुटनों के ठीक होने की कल्पना भी कैसे कर सकते है,| समुद्री नमक के स्थान पर अभी से सेंधा नमक का उपयोग करे, इसमें पोटेशियम होता है, जिससे सूजन और जोड़ो का दर्द ही ठीक नहीं होता बल्कि यह छारीय { एल्केलाइन } होने के कारण हजार बीमारियां स्वत: ठीक होने लगती है | २. शक्कर - शक़्कर वाले खाद्य पदार्थ रक्त में यूरिक एसिड बढ़ाते हैं जिसके कारण गठिया , घुटनों की समस्या और ब्लड प्रेशर की परेशानी हो सकती है।चीनी से शरीर में सूजन आती है जो कैंसर का एक बड़ा कारण होता है। जो लोग अधिक चीनी लेते है उन्हें कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।चीनी लेने से इन्सुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है जिसके कारण मोटापा और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।इन्सुलिन बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी उपस्थिति में ही कोशिका ग्लूकोज का उपयोग कर पाती हैं। रक्त में ज्यादा शक्कर होने से कोशिका में इन्सुलिन का प्रतिरोध शुरू हो जाता है। सफ़ेद चीनी सल्फ़र से साफ की जाती हैं ,| सल्फर का प्रयोग पटाखें बनाने में उपयोग होता है | सल्फर को पचाने के लिए हमारा पाचन तंत्र तेजी से कैल्शियम का उपयोग करने लगता है, जिससे हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा कम होने से वे कमजोर हो जाती है , जिससे घुटनो की समस्या उत्पन्न होती है | अगर आप घुटनों की समस्या से निजात पाना चाहते हैं , तो आज से ही धागे वाली मिश्री , खांड चीनी , या गुड़ का प्रयोग शुरू करें | ३. रिफ़ायन तेल -- रिफाइंड ऑयल में अनेक प्रकार के रसायनों का उपयोग होता हैं , जिससे तेल की चिकनाई ,गंध को समाप्त कर दिया जाता है, इसके खाने से पेशाब के माध्यम से कैल्शियम शरीर से बाहर निकलने लगता है, कैल्शियम हड्डियों के लिए आवश्यक ही नहीं है,बल्कि मेटाबोलिज्म के लिए भी जरुरी है | रिफाइंड ऑयल को रिफाइंड करने के लिए कई तरह के केमिकल प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। दरअसल, इसे प्यूरीफाई करने के लिए न सिर्फ हेक्सेन नामक रसायन का प्रयोग किया जाता है, बल्कि रिफाइंड ऑयल तैयार करने के लिए पहले ऑयल की पीयूएफ अर्थात रैंकिड पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड प्रक्रिया निभाई जाती है और यह प्रक्रिया केवल उच्च तापमान पर ही संभव है। ऐसे में जब तेल की रिफाइनिंग के दौरान जब तेल को बहुत उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है तो यह ऑयल ऑक्साइड होकर ट्रांसफैट में तब्दील हो जाता है। प्रोटीन शरीर के लिए आवश्यक घटक है। आप पारंपरिक तेलों के इस्तेमाल के दौरान एक गंध महसूस करते हैं, वह उसमें मौजूद प्रोटीन के कारण होता है। लेकिन रिफाइंड ऑयल की प्रोसेसिंग के दौरान उसकी गंध को दूर किया जाता है, मतलब आप उस तेल में से प्रोटीन निकाल कर अलग कर देते हैं। ऐसे में उस तेल के इस्तेमाल से आपको किसी प्रकार के पोषक तत्व प्राप्त नहीं होते। रिफाइंड ऑयल को इस्तेमाल करने के पीछे लोगों की एक सबसे बड़ी धारणा यह होती है कि यह कोलेस्ट्रॉल फ्री होते हैं, जिसके कारण इन्हें हॉर्ट के लिए हेल्दी माना जाता है। शायद आपको पता न हो लेकिन इन्हीं कोलेस्ट्रॉल फ्री ऑयल में फैटी एसिड भी नहीं होते। यह फैटी एसिड शरीर के लिए काफी जरूरी माने जाते हैं और ऑयल में फैटी एसिड न होने के कारण आपको जोड़ों व स्किन के साथ−साथ कई तरह की समस्याएं भी पैदा करते हैं। अगर घुटनों की समस्या से छुटकारा चाहते है तो आज से ही फिलटर्ड ऑइल का प्रयोग न करें. |

जोड़ों की समस्या का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार प्रथम भाग- मिटटी से उपचार

प्रकृति ने हमारे उपचार की वस्तुएं हमारे आस पास ही उपलब्ध कराई हुयी है | आज हम आपको जोड़ों के उपचार की प्राकृतिक विधियां बताने जा रहे है, जो इतनी कारगर है कि जहाँ सारी चिकित्सा पद्धतियां असफल हो जाती है, वहाँ प्राकृतिक चिकित्सा शरीर को शुद्ध करके जीवन भर के लिए निरोग बना देती है, मेने प्राकृतिक चिकित्सा की पढाई के दौरान एडवर्ड जस्ट की पुस्तक " Return to Nature "{ जो आपको भेजी जा चुकी है } तथा गाँधी जी की पुस्तक कुदरती उपचार { जो आपको भेजी जा रही है } पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | एडवर्ड जस्ट की पुस्तक को पढ़कर गाँधी जी ने चार साल पुरानी कब्ज की बीमारी पेट पर मिटटी रखकर एक दिन में ठीक कर ली, जबकि गाँधी जी, कब्ज की बीमारी के लिए चार साल से दवाये ले रहे थे | मैंने प्राकृतिक चिकित्सा की पढाई के दौरान ही हजारों जोड़ों के मरीजों को मिटटी की पट्टी रखकर ही 10 - 15 दिन में ठीक किया है | अधिकांश मामलों, में तीन दिन में ही मरीज को दर्द से 50 प्रतिशत तक मुक्ति मिल गयी | परन्तु याद रखे इस चिकित्सा में शुरू में मरीज़ को पहले से अधिक तकलीफ हो सकती है | ऐसा शरीर से विजातीय तत्वों के निष्कासन और सुधार की प्रक्रिया शुरू होने के कारण होता है | अगर आप जोड़ो के निम्न लिखित विकारों से पीड़ित है, और नीचे लिखे लक्षण दिखाई देते है, तो मिटटी चिकित्सा आपकी सारी समस्याओ का समाधान है | जोड़ों के वे विकार जिनमें मिटटी चिकित्सा अत्यंत कारगर है ---- Arthritis जोड़ों में दर्द व सूजन। Osteoarthritisऑस्टियोआर्थराइटिस-जोड़ों व कार्टिलेज का घिस जाना । Gout गठिया जोड़ों में गाँठ बन जाना।। Rheumatoid Arthritis (RA)रुमेटाइड आर्थराइटिस- हड्डियां घिसना या जोड़ों में विकृति,ऑटोइम्यून बीमारी। Bursitis बरसाइटिस - जोड़ों की जलन होना । Ankle pain and Tendinitis टेंडिनाइटिस- टेंडोन के घिसने से दर्द। ऑस्टियोमाइलाइटिस Osteomyelitis- हड्डियों का संक्रमण। कोनड्रोमालाशिया पेटेलै Chondromalacia patellae- घुटनों के भीतर स्थित कार्टिलेज का घिसना। स्पोंडिलोसिस Spondylosis- रीढ की हड्डी में घिसावट। Osteoporosis ओस्टिओपोरेसिस- हड्डियों का घनत्व व वजन कम होना व कमजोर होना | इन बीमारियों में आपको नीचे लिखे लक्षण देखने को मिलेंगे | सुबह उठते ही ऐड़ी में दर्द, चलना मुश्किल । कमर, कंधे व पूरे शरीर में जकड़न। कलाई में जकड़न। विभिन्न जोड़ों में दर्द। रात में सोते समय पैरों में दर्द की लहर चलना। जीना चढते समय, भारी काम करते समय जोड़ों में कट-कट की आवाज। हाथों को कंधों से ऊपर करने में या कमर से नीचे झुकने में दर्द,। जोड़ों में लालिमा व सूजन आना। हाथ पैरों के रूप में टेढापन या विकृति। जोड़ों की गतिशीलता में कमी। चलने में दर्द होना। हड्डियाँ कमजोर होना, हलकी से चोट से हड्डी फ़्रैक्चर होना। फ़्रैक्चर हड्डियों को जुड़ने व ठीक होने में अधिक समय लगना। एक जगह पर लंबे समय बैठने या लेटने से हड्डियों में जकड़न। उंगलियों, पैर, कोहनी, एडी और कलाई के पास गांठ बनना। रीढ की हड्डी में दर्द व जकड़न, गर्दन में दर्द व जकड़न। टांग, बाजू, पैर और हाथ में सुन्नता, झुनझुनी आना | आज हम बताने जा रहे है, चमत्कारी मिटटी के अद्भुत प्रयोग | मिट्टी का अर्थ है, मिटाना , अर्थात सारे रोगों को जड़ से मिटा देना , इसलिए इसे सर्वरोगहारी भी कहते है , भागवत पुराण के अनुसार राजा पृथु ने पृथ्वी को समतल करके उससे सब प्रकार की औषधियों का दोहन किया था | मानव शरीर और पृथ्वी में अद्भुत समानता है, शरीर में 70 प्रतिशत पानी है, पृथ्वी में भी 70 प्रतिशत पानी है, इसलिए पृथ्वी को रसा भी कहते है, शरीर पञ्च तत्त्व से निर्मित है, पृथ्वी भी पञ्च तत्त्व से बनी है, इसलिए ऐसे धरा कहते है, वैज्ञानिक दृष्टि से शरीर में 24 खनिज तत्व पाए जाते है, यही सब तत्व पृथ्वी में भी समाहित है, इसलिए पृथ्वी को रत्नगर्भा कहते है, मानव शरीर , और पृथ्वी ही नहीं वल्कि ब्रम्हाण्ड भी समान पदार्थों से बना हुआ है, इसलिए वेदों में कहा गया है, ""यथा पिण्डे तथा ब्रम्हांडे | "" ब्रम्हवैवर्त पुराण के अनुसार "" सर्वाधारे सर्व बीजे सर्व शक्ति समन्विते | सर्व काम प्रदे देवि सर्वेष्ट देहिमे धरे || अर्थात मिटटी सबका आधार ,सबका बीज़ ,सब प्रकार की शक्तिवाली तथा सारी इच्छाओ को पूरा करने वाली है | पृथ्वी तीन प्रकार से व्यक्ति का इलाज करती है 1. शरीर से विजातीय { विषैले } पदार्थों को बाहर निकलना | 2 . शरीर में उन पदार्थों की पूर्ति करना जिनकी कमी से कोई कमज़ोरी या रोग उत्पन्न हुआ है | 3 .शरीर में प्राण शक्ति { जीवनी शक्ति } की पूर्ति करना | मिट्टी के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है , मानव को भोजन , पानी , ऑक्सीजन , आवास , वस्त्र सब कुछ पृथ्वी से ही हमें प्राप्त होता है, अर्थात पृथ्वी हमारी माँ है, जिससे हमने दूरी बना ली है , हम कभी मिट्टी पर नहीं लेटते , कभी नंगे पैर जमीन पर नहीं चलते और न ही उसका शरीर से स्पर्श होने देते है, आज का सभ्य कहा जाने वाला मानव , अज्ञानी ,निरा मूर्ख और अनेक बीमारियों से पीड़ित होकर अपने आप को अस्त व्यस्त और त्रस्त महसूस कर रहा है, जितना इलाज किया जा रहा है, समस्या और अधिक उतनी बढ़ती जा रही है, और मानव अपने को बिमारियों के सामने पूर्णता असहाय महसूस कर रहा है, जबकि सामान्य बुद्धि के जीव जन्तु पृथ्वी के संपर्क में रहते हुए , बिना दवा , अस्पताल और डॉक्टर्स के हमसे ज्यादा स्वस्थ, दीर्घजीवी ,सुखी और निरोग है | जिन्हे हम जानवर कहते है, वे कभी बीमार नहीं पड़ते , और अगर पड़ते है, तो पृथ्वी पर लेटकर अपनी बीमारी तुरंत ठीक कर लेते है | सबसे शक्तिशाली घोड़ा है, इसलिए उसी के नाम पर ऊर्जा को हॉर्स पावर में मापते है, | जबकि गेंडा और हाथी सबसे ज्यादा बलशाली होते है | जिसे हम गधा कहते है, वह भी अपनी थकान और तनाव को तुरंत ठीक करने का तरीका जानता है , जब गधे को दिनभर काम कराने के बाद छोड़ते है, तो वह 3 - 4 जमीन में लोट लगाता है, जिसे गधालोट कहते है, इससे उसको थकान और तनाव से तुरन्त मुक्ति मिल जाती है | आज का सभ्य कहा जाने वाला मानव प्रकृति का स्वामी बनने की चेष्टा कर रहा है , जिस प्रकार मृग अपनी नाभि में बहुमूल्य कस्तूरी रखते हुए , उसकी खोज में इधर -उधर भटकता है, और दुःखी होकर अंत में मर जाता है, उसी तरह अपने मद में चूर मानव मिट्टी जैसी निशुल्क सर्व सुलभ , और चमत्कारिक निशुल्क औषधी के होते हुए महँगी ,दुर्लभ ,विषैली हानिकारक औषधियों के पीछे भेड़चाल चलता हुआ , नागपाश में फसता चला जा रहा है |

मिट्टी के चमत्कारिक गुण

1. रोगनाशक शक्ति - मिटटी में अद्भुत रोगनाशक शक्ति होती है, जैसा हम सब जानते है, हमारा शरीर पञ्च तत्वों से मिलकर बना है, जिसमें पृथ्वी तत्त्व सबसे ज्यादा है, इसी तत्त्व से हमारी हड्डियां , बाल, नाख़ून , त्वचा आदि का निर्माण हुआ है, इसीलिए जोड़ों में आया गेप , कार्टिलेज का ख़राब हुआ, लिगामेंट का टूटना , हड्डियां में कैल्शियम की कमी होना, जैसी बीमारियां मिटटी से तुरंत ठीक होने लगती है, | गाँधी जी कहा करते थे, मिटटी के पुतले को मिटटी से ही ठीक किया जाना चाहिए | किसी भी अंग के क्षतिग्रस्त होने पर मिटटी रूपी संजीविनी से ही फिर से निरोग किया जा सकता है | 2. त्रिदोष नाशक - हमारी महान परंपरा आयुर्वेद के अनुसार सभी बीमारियों का कारण त्रिदोषों का असंतुलन है , जिसमें जोड़ों की 90 प्रतिशत समस्याएं वातदोष के प्रकुपित होने के कारण होती है | मिटटी से बने मकान भयंकर आँधियों में भी नहीं गिरते , जैसे मिटटी वायु के भयंकर झंझावातों को सहन कर लेती है, उसी प्रकार मिटटी शरीर में उत्पन्न हुए सभी वायु विकारों को शांत करके शरीर को निरोग बनाती है | 3. दर्द नाशक गुण - मिटटी शरीर में स्थित किसी भी प्रकार के दर्द को समाप्त करके निरोग प्रदान करती है , डॉ. लिंडलहार के अनुसार "मिटटी त्वचा के रोम कूपों को खोलती है, रक्त संचार को संतुलित करती है, अंदर के दर्द और रक्त संचय को दूर करती है, और विजातीय द्रव्य को बाहर निकालती है |'' डॉ. जे. एच. केलांग ने सन्धिवात जैसे जटिल रोग में मिटटी के प्रयोग की जोरदार सिफारिश की है | 4. विष अवशोषण का गुण - मिटटी में विषैले पदार्थों को अवशोषित करने का अनोखा गुण विद्यमान है, जोड़ों में एकत्रित हुए यूरिक एसिड और अन्य जहरीले पदार्थों को मिटटी खींच कर बाहर निकाल देती है, महात्मा गाँधी ने कहा था, -- मिटटी के अंदर जहर खींच लेने की अद्भुत शक्ति है | ''' कुछ समय पहले की बात है, मेरे विश्वविद्यालय अटल बिहारी बाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल में एक गार्ड {जिनका नाम मुझे याद नहीं } मेरे पास आये और बोला कि गुरूजी मेरी माताजी की दोनों किडनी ख़राब हो गयी है, और अभी एक डॉयलेसिस भी हो गयी है, आप कोई उपाय बताये, जिनसे मेरी माताजी जी ठीक हो जाएँ, मेरी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है, कि में उनका लम्बे समय तक इलाज करवा सकूँ | मैंने कहा कि आप उनको कहे कि हर दिन 30 मिनिट नंगे पैर मिटटी में चलें , तब वह बोला कि गुरु जी यह तो आपने बहुत सस्ता , सर्व सुलभ निशुल्क उपचार बता दिया , मैंने हाँ में सिर हिलाया और वहां से चला गया , एक माह बाद गार्ड मेरे पास दौड़ता हुआ आया और बोला गुरु जी, चमत्कार हो

जोड़ों की समस्या - जल चिकित्सा द्वारा उपचार

संसार में जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां हैं उनमें जल चिकित्सा सबसे प्राचीन है। प्राकृतिक, आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में इसका काफी महत्ता बताई गई है। अब तो इसे एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में भी अपनाया जा रहा है। जापान में तो जल चिकित्सा पद्धति काफी लोकप्रिय है। तथा अनेक रोगों का उपचार इससे किया जा रहा है। यह किसी औषधि से कम नहीं है।जल प्रकृति का अनुपम और अनमोल उपहार है। यदि धरती पर जल नहीं होता तो आज जीवन संभव नहीं होता। जल केवल प्यास बुझाने की वस्तु मात्र नहीं है। अपितु यह जीवनदाता है यानि इंसान की मूल जरूरत है। इसके बगैर एक सप्ताह भी जिंदा रहना मुश्किल है। हमारे शरीर में 70 प्रतिशत जल का भाग है। यही कारण है कि इसकी कमी जहां अनेक रोगों का कारण बनती है, वहीं इसकी समुचित मात्रा रोगों से निजात दिलाती है। संसार में जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां हैं उनमें जल चिकित्सा सबसे प्राचीन है। प्राकृतिक, आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में इसका काफी महत्ता बताई गई है। अब तो इसे एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में भी अपनाया जा रहा है। जापान में तो जल चिकित्सा पद्धति काफी लोकप्रिय है। तथा जोड़ों की समस्या का उपचार इससे किया जा रहा है। यह किसी औषधि से कम नहीं है। जल को आप साधारण वस्तु न समझें। क्या आप जानते हैं कि यह हमारे शरीर को किस तरह से स्वस्थ और निरोगी रखकर दीर्घायु बनाता है। 1. बच्चों के सूखा रोग में प्रतिदिन ठंडे जल से स्नान कराने से लाभ होता है। 2. जल हमारे शरीर शुद्धिकरण के लिए आवश्यक है। इसके अभाव में विजातीय तत्व शरीर से बाहर नहीं निकल पाते। पसीना और मूत्र तभी बनेगा जब आप पानी पिएंगे। 3. पानी का समुचित मात्रा में सेवन करने से खाए गए पोषक तत्वों का अवशोषण होता है। 4. मोटापे से परेशान हो तो पानी डटकर पिएं। इससे पेट भरा-भरा लगता है और शरीर को खाद्य सामग्री की जरूरत कम पड़ती है। 5. गठिया रोग में भी जल का सेवन बहुत लाभदायक है। इससे रक्त में व्याप्त अशुद्धियां बाहर निकल जाती हैं। 6. तांबे के बर्तन में रात भर रखा पानी सुबह पीने से पेट संबंधी रोगों का नाश होता है। 7. रक्त को तरल व गतिशील बनाए रखने में जल विशेष उपयोगी है। 8. पर्याप्त मात्रा में जल पीने से ही शरीर की हड्डियां और जोड़ क्रियाशील रहते हैं। 9. शरीर को जल की आवश्यकता प्राकृतिक बात है। यदि आप पानी नहीं पिएंगे तो जल की पूर्ति आपके रक्त, मांसपेशियों और विभिन्न कोशिकाओं से होती हैं। इससे अन्य शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। 10. जल में प्राकृतिक रूप से रोगों से लड़ने की शक्ति होती है। जो लोग समुचित मात्रा में जल का सेवन करते हैं वे रोगाणुओं के हमले से बचे रहते हैं। 11. जल के सेवन से शरीर की नाड़ियां उत्तेजित होती हैं तथा मांसपेशियां संकुचित। 12. जल की कमी से जोड़ों को आधार प्रदान करने वाली गद्दियों (CARTILAGE)में लचीलापन समाप्त हो जाता है थथा वे सिकुड़ जाती हैं। 13. जल का सेवन नए ऊतकों के निर्माण में सहायक होता है तथा उन्हें सुरक्षात्मक कुशन प्रदान करता है। 14. शरीर में लगातार मेटाबोलिक क्रिया चलती रहती है जिसमें पानी की लगातार जरूरत होती है। इन्हीं क्रियाओं के फलस्वरूप हमें एनर्जी मिलती है। प्रातःकाल पिया गया पानी उषापान कहलाता है। इससे मनुष्य के यौवन और आयु में वृद्धि होती है। 15. जो लोग पानी कम पीते हैं उनकी हड्डियां कमजोर होती है। 16. घूंट घूंट पानी पीने से मुंह में लार और थूक बनता है। लार पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देती है। 17. यदि पैरों में सूजन आ गई हो तो गर्म पानी में थोड़ा सा एप्सम साल्ट डालकर उसमें पैर डुबोकर रखें l 18. यदि कमर या पीठ दर्द सताए तो गर्म पानी की थैली से सिकाई करने से लाभ होता है। 19. एप्सम साल्ट पानी से नहाने से गठिया के दर्द में राहत मिल सकती है।हाल में हुए शोध से पता चलता है कि उच्च सांद्रता वाले नमक के घोल के सूजन के कारण फैली कोशिकाओं को राहत मिलती है और इससे किसी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। 20. यदि दर्द की शिकायत हो तो रात को सोते समय तथा सुबह उठने के बाद गर्म जल का सेवन करना चाहिए। 21. जोड़ों की समस्या की शिकायत हो तो सूर्य तापित जल का सेवन करना चाहिए। गया , मेरी माँ सिर्फ मिटटी में सुबह शाम नंगे पैर चलने से पूरी तरह स्वस्थ हो गयी और अब डॉयलेसिस की जरुरत भी नहीं, और सारी रिपोर्ट्स नार्मल आ गयी है | 5. ऊष्मा अवशोषण गुण - ================ मिटटी में ऊष्मा अवशोषण का गुण पाया जाता है , जिनको जोड़ों में जलन पड़ती है , वे मिटटी की पट्टी रखने से ठीक हो जाते है | 6. चुंबकीय गुण पृथ्वी मेग्नेट थेरेपी का भी काम करती है, मिटटी चिकित्सा से रक्त संचार में सुधार होता है, जिससे ऑक्सीजन शरीर के हर अंग तक पहुँचता है, और विकार दूर होकर शरीर स्वस्थ होता है | निम्न लिखित विधियों के माध्यम से आप जोड़ों की तकलीफ को पूर्णत ; ठीक कर सकते है | 1. मिटटी के बिस्तर पर सोना -- मिटटी के बिस्तर पर सोने से शरीर में पञ्च तत्वों की पूर्ति हो जाती है, शरीर में प्राण ऊर्जा का प्रवाह बढ़ने से शरीर के समस्त रोग समाप्त हो जाते है | 2 . सर्वांग मिटटी लेप - किसी अच्छे स्थान की कंकड़ रहित मिटटी लेकर उसे कूटकर छानकर बारह घण्टे तक पानी में भिगोकर , मक्ख़न की तरह शरीर पर आधा इंच मोटी परत चढ़ा लें, फिर एक घंटे धूप में बैठे , फिर रगड़ रगड़ पर स्नान कर लें | 3. किसी जंगल या नदी के किनारे की चार फ़ीट नीचे की मिटटी निकाल लें, उसे कूट पीसकर छान लें, फिर दो दिन मिट्टी को धूप में सुखा कर , लेप तैयार करके प्रभावित अंग पर लगायें , एक घण्टे बाद धो लें, अगर ज्यादा तकलीफ है, तो बार बार 1 -1 घंटे के अन्तराल से यह प्रक्रिया दोहराएं | 4 . मिट्टी पर नंगे पैर चलना -- सुबह- शाम जमीन पर लगभग 30 मिनिट तक नंगे पैर चलने से भूमि से शरीर को पञ्च तत्व मिलते है, शरीर को जो खनिज पदार्थ की जरुरत होती है, वह शरीर खुद ले लेता है |शरीर में प्राण ऊर्जा का संचार तेज होने लगता है, प्राण शक्ति सारी व्याधियाँ ठीक कर देती है , शरीर से विषैले पदार्थ मिट्टी खींच लेती है फलस्वरूप शरीर शुद्ध होने से स्वत ; ठीक हो जाता है |

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घुटनों की समस्या का पानी से उपचार Part 2

योगी योगानंद { अध्यात्म , योग गुरु एवं प्राकृतिक चिकित्सक } 1. भोजन के समय पानी पीना , जहर पीने के समान है, भोजन के समय जठराग्नि प्रदीप्त होती है, ठंडा पानी पीने से ऊर्जा जो भोजन पचाने का कार्य करती है, वह शरीर के तापमान संतुलन के कार्य में लग जाती है और भोजन पाचन का कार्य ठीक से नहीं हो पाता | शरीर में दो कार्य होते है, पहला Digestion अर्थात पाचन और दूसरा fermentation अर्थात सड़ना | भोजन के समय पानी पीने से जठराग्नि के शांत होने से भोजन सड़ने लगता है , जो अनेक बीमारियों का कारण बनता है | 2. पानी हमेशा घूंट घूंट करके पीना चाहिए ताकि उसमे लार मिल जाये , और पानी शरीर के अनुकूल बन जाये | इससे पानी के समस्त दोष ठीक हो जाते है | 3 . हमेशा बैठकर घूंट घूंट पानी ही पीना चाहिए , अन्यथा जोड़ों की समस्या उत्पन्न हो जाती है | 4 . पानी हमेशा शरीर के तापमान के बराबर ही होना चाहिए , ठंडा पानी , भोजन के समय आइसक्रीम , कोल्ड ड्रिंक बहुत नुकसानदायक होते है | इससे ह्रदय रोग , कोलेस्ट्रॉल , ब्लड प्रेसर , एसिडिटी , बबासीर , गैस्ट्रिक , कब्ज की समस्या होने की सम्भावना प्रबल हो जाती है 5. लाल रंग की बॉटल में पानी भरकर सूर्य की रोशनी में रखें और उस पानी को पिए , ऐसा सात दिन तक करने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है | 6 . पानी को चुम्बक पर आठ घंटे तक रखकर उस पानी को पीने से जोड़ों की समस्या ठीक हो जाती है | 7 .पिरामिड बनाकर उसके अंदर रात भर पानी रखकर , उस पानी को पीने से जोड़ो की तकलीफ ठीक होती है | 8 . मंत्रो , रत्नों , प्राण ऊर्जा , सद विचार , रैकी से उर्जित पानी को पीने से सभी प्रकार की बिमारियों में लाभ मिलता है | 9 . ताम्बे के बर्तन में रात भर रखे पानी को पीने से जोड़ों की तकलीफ ठीक होती है | 10. पानी से इलाज - अगर आप खड़े होकर ,गट -गट करके जल्दी जल्दी पानी पीते है, तो आपको घुटनों के दर्द के साथ अनेक प्रकार की बिमारियों से ग्रसित होने की प्रबल सम्भावना है, और विश्व का कोई भी व्यक्ति आपको ठीक नहीं कर सकता, हम स्वयं अपने मित्र और शत्रु है | हमारे शरीर के भार का 70 प्रतिशत भाग जल का होता है, आपने कभी गौर किया कि जो हम पानी पीते है, वो हमारे लिए कही जहर का कार्य तो नहीं कर रहा है | अगर अभी तक बेखबर रहे है तो अब खबरदार हो जाएँ ,| दूसरे दिन मेने बताया था, कि हमारा भोजन दो प्रकार का होता है, पहला ऐसिडिक अर्थात तेजाबी और दूसरा अल्कालाइन अर्थात छारीय | नॉवेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. ओट्टो वानवर्ग लिखते है, कि घुटनों की समस्या , कैंसर सहित 1000 प्रकार की बीमारियाँ ऐसिडिक भोजन से ही उत्पन्न होती है | भूमि के प्रदुषण , वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और फ्लोराईड के कारण अनेक शहरो का पीने का पानी ऐसिडिक हो गया है, जो कैंसर सहित अनेक बीमारियों का कारण है, { हम जो पानी पीते है, वो ऐसिडिक है या एल्कलाइन इसकी जाँच की बहुत सरल विधि है, और घर में ही आप कैसे एल्केलाइन वॉटर बना सकते है, इसकी कभी हम बाद में चर्चा करेंगे } प्रकृति ने ऐसी व्यवस्था की है की अगर हम बैठकर ,घूट घूट पानी पीते है तो मुँह में उपलब्ध लार उसमे मिलकर उसे एल्कलाइन बना देती है, जिससे सभी प्रकार की बीमारियाँ स्वत; ठीक होने लगती है.| ऐसा करने से घुटनों की तकलीफ एक सप्ताह में 2 5 से 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है |

11 . दूसरी विधि - जल को दिव्य औषधि बनाना-- जल एक जीवित वस्तु है , जिसे आप दिव्य औषधि बना सकते है | यह हमारे धार्मिक ग्रन्थों में सदियों से वर्णित है | परन्तु जापान के वैज्ञानिक मसारू इमोटो में वैज्ञानिक आधार पर इसे सही साबित कर दिया , उन्होंने पानी के सामने अच्छे अच्छे शब्द कहे पानी से सामने प्रार्थना की और देखा की पानी की क्रिस्टलीय संरचना हीरे के समान चमकदार हो गयी , और इस पानी को पीने से अनेक प्रकार की बीमारियाँ ठीक हुयी , जबकि दूसरी ओर पानी के सामने निरर्थक शब्द कहे और देखा की पानी की संरचना बहुत ख़राब हो गयी | { इसका वीडियो आपको भेजा जा रहा है } अगर आप भी पानी के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें , और अपनी बीमारी से मुक्त करने का आग्रह करे तो इसके चमत्कारिक परिणाम आपको देखने को मिलेंगे | जब हम प्रार्थना करते है तो हमारी हथेलियों से प्रति सेकंड 36 सर्किल प्राण ऊर्जा निकलने लगती है जो सामान्य अवस्था में 4 सर्किल प्रति सेकंड निकलती है | यह ऊर्जा हमारे शरीर में प्रवेश करके शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ बनाती हैं | जोड़ों की तकलीफ का आयुर्वेद द्वारा इलाज योगी योगानंद { अध्यात्म और योग गुरु }, 1. मैथी का पाउडर सुबह दो चम्मच गर्म पानी के साथ दो माह तक लेने से जोड़ो की तकलीफ ठीक हो जाती है और बुढ़ापे में भी घुटने नहीं दुखते | 2. सबेरे तीन चार अखरोट खाने से घुटनों की तकलीफ हमेशा को ठीक हो जाती है | 3. नारियल की गिरी दो तीन माह तक लगातार खाने से जोड़ों की कैसी भी तकलीफ ठीक हो जाती है | 4. दो माह तक बथुआ के पत्तों का 20 ग्राम रस सुबह शाम पीने से गठिया ठीक हो जाता है | 5 नागोरी असगंध और खांड समान मात्रा में लेकर पाउडर बना ले, और चार ग्राम सुबह शाम गर्म दूध से लें , बिस्तर पर पड़ा गठिया का मरीज भी उठकर चलने लगता है | 6 . एक चम्मच मैथी दाना एक गिलास पानी में उबले, आधा रह जाये तो उसमे, गुड़ और हल्दी स्वाद अनुसार मिलाएं , ऐसे एक माह तक पीने से घुटनों का असहनीय से असहनीय दर्द ठीक हो जाता है | 7. हरे आवलो का 20 ग्राम रस समान मात्रा में शहद में मिलकर सुबह दो माह तक लेने से टेढ़े मेढ़े घुटने भी सीधे हो जाते है और जोड़ों की अकड़न भी पूरी तरह ठीक हो जाती है | 8. अगर जोड़ों में गैप आ गया है और दर्द रहता है तो 6 ग्राम विजयसार की छाल की चाय बनाकर 3 माह तक पीने से पूरी तरह ठीक हो जाती है | 9. खिरेंटी { sida cardifolia } की जड़ का पेस्ट बनाकर जोड़ों पर बांधने से जोड़ो की तकलीफ ठीक हो जाती है | 10 . लेपीडियम सटाइवम के बीजों का तेल जोड़ों पर हलके हाथ से मालिस करने से जोड़ों की समस्या ठीक होती है | 11. दो दो चम्मच एलोवेरा का जूस सुबह शाम लेने से जोड़ो की तकलीफ ठीक हो जाती है | 12. करंजवा के बीजो का तेल प्रभावित अंग पर मालिस करने से जोड़ो की तकलीफ ठीक होती है 13. पीपल के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने और प्रभावित अंग पर उससे मसाज करने से लाभ मिलता है 14. युक्का (Yucca) की जड़ों का काढ़ा बनाकर पीने से जोड़ों की तकलीफ ठीक होती है 15. केस्टर आयल गर्म पानी में डालकर उससे मसाज करने से जोड़ों की तकलीफ ठीक होती है 16. चुकंदर का जूस हर दिन पीने से आर्थराइटिस के मरीज को बहुत लाभ होता है 17. एप्सम साल्ट गुनगुने पानी में डालकर उसमें २० मिनिट तक पैर डालकर बैठने से कुछ दिन में ही सूजन और दर्द ठीक हो जाता है 18. प्रतिदिन इप्सम साल्ट के पानी से नहाने से शरीर के हर प्रकार के दर्द दूर होते है 19. दर्द वाले स्थान पर कागज के टेप में मैथी के बीज चिपकाकर ३ - ४ दिन लगाने पर ही आराम मिल जाता है 20. सहजन के फूलों का पाउडर बनाकर सुबह शाम एक एक चम्मच २ माह तक लेने से बुढ़ापे में भी जोड़ दर्द नहीं करते है | 21. हरसिंगार के फूलों का पाउडर बनाकर सुबह शाम एक एक चम्मच खाने से जोड़ों की समस्या हमेशा के लिए ठीक हो जाती है | 22. ज्वारे का जूस प्रतिदिन पीने और सूती कपडे में भिगोकर जोड़ों पर कुछ देर तक सुबह शाम रखने से तकलीफ 2 माह में पूरी तरह ठीक हो जाती है | 23. आजमोद के बीजों को पीसकार प्रभावित स्थान पर लेप करें 24. एक चम्मच दालचीनी , एक चम्मच शहद के साथ सेवन करने से बहुत अच्छे परिणाम मिलते है 25.. दो कालिया लहसुन और इस लोंग सुबह खाली पेट खाने से दर्द में राहत मिलती है 26. यूकेलिप्टस का तेल प्रभावित अंग पर सुबह शाम मालिस करें 27. प्रतिदिन सुबह खाली पेट लहसुन , धनिया , जीरा , टमाटर , ककड़ी , चुकंदर , नीबू का जूस बनाकर पीने से बहुत फायदा मिलता है 28. घी के साथ गिलोय आधा आधा चममच सुबह शाम लेने से जोड़ों की तकलीफ कुछ दिन में ही दूर हो जाती है | 29 . कपालफोटि की पत्तियां , आधा चम्मच जीरा , दो काली मिर्च, एक टुकड़ा अदरक तीन गिलास पानी में उबालें, जब एक गिलास बचे तो दिन भर घूंट घूंट पीने से आर्थराइटिस ठीक होता है 30 . बबुनाह का तेल, यूकेलिप्टस का तेल , लेवेंडर तेल , पिपरमेंट , रोजमेरी सभी का तेल समान मात्रा में मिलाकर दिन में तीन बार मसाज करने से आर्थराइटिस में फायदा होता है 31 . एक चम्मच भोजपत्र , एक चम्मच कनफूल , एक टुकड़ा अदरक डालकर उबालें, आधा कप सुबह खाली पेट पीने से जोड़ों की समस्या ठीक होती है | 32 . बखनाख , शैलरी , भोगबीन, का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पियें | 33 . बबुनाह तेल, लेवेंडर तेल और लौंग का तेल दो -दो बून्द मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द ठीक होता है 34 . सरसों का तेल , अदरक पाउडर , मकोय का जूस एवं सीसम का तेल का पेस्ट बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से कुछ समय में तेजी से सुधार होता है | 35 . कपूर में नारियल का तेल मिलाकर जोड़ों पर मसाज करें., लाभ होगा | 36 . अदरक के पाउडर में सिरका मिलाकर, पेस्ट बनाकर लेप लगाए | 37 . एक कप के जूस में एक चम्मच अजवाइन मिलाकर, दिन में एक बार पिये | 38 . हरड़ , अजवाइन , अदरक सभी का पाउडर समान मात्रा में लेकर सुबह शाम एक एक चम्मच गर्म पानी से लेने से अद्भुत लाभ मिलता है | जोड़ों के तकलीफ का अंत - घरेलू उपचार योगी योगानंद {अध्यात्म और योग गुरु } 1. दो चम्मच शहद में , एक चम्मच दालचीनी मिलाकर, सुबह शाम गर्म पानी के साथ लेने से आर्थराइटिस की समस्त समस्याएं , जड़ से ठीक हो जाती है | 2 . तीन चम्मच नीबू जूस , में एक चम्मच एप्सम साल्ट एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह शाम पीने से जोड़ों में जमा विकार तेजी से बाहर निकल जाते है | 3 . दो चम्मच लाल मिर्च पाउडर , दो चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर , दो चम्मच अदरक का पाउडर , चार चम्मच हल्दी पाउडर सभी को मिलाकर रख ले , आधा चम्मच सुबह - शाम गर्म पानी के साथ लेने से जोड़ों की तकलीफ ठीक होती है | 4 . हल्दी , चूना , और चीनी तीनों को पीसकर पाउडर बना ले, फिर इसका मोटा लेप जोड़ों पर लगाये , बहुत जल्दी तकलीफ ठीक होगी | 5 . एक चम्मच हल्दी , एक चम्मच अदरक पाउडर लेकर उसे दो कप पानी में उबालें , जब एक कप बचे , तो ठंडा करके उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार पियें | 6. निरामय सोप से नहाने से और दर्द वाले स्थान पर दिन में दो बार लगाकर गर्म पानी से धोने से तुरंत दर्द ठीक होता हैं | 7 . पिपरमेंट को नारियल के तेल में मिलाकर जोड़ों वाले स्थान पर मसाज़ करें | 8 . साल्ट पीटर , हल्दी , नींबू पाउडर को बराबर मिलाकर उनका लेप बनाकर , 30 मिनिट तक जोड़ों पर लेप लगाकर रखें | 9 . हल्दी , मैथी और अदरक का पाउडर बनाकर इसे एक एक चम्म्च सुबह शाम गर्म पानी से ले, और इसी में अमृतधारा मिलाकर इसका लेप बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाए | 10 . यदि आप घुटनों के दर्द से परेशान हैं बहुत ईलाज कराया आराम नहीं आया घुटनों की हड्डियां कट कट की आवाज करती हैं या हड्डियों के बीच गैप आ गया है हड्डियां आपस में रगड़ने से घिस गई है। क्या आपको घुटने बदलवाने के लिए कहा गया है। तो आप इसे एक बार जरूर आजमायें ! 1: अल्सी 100ग्राम २: त्रिकुटा 100 ग्राम 3: त्रिफला 100 ग्राम 4 : अजवाइन100 ग्राम 5: नागरमोथा 100 ग्राम 6: सहजन के बीज 100 ग्राम 7: निरगुण्डी 100 ग्राम 8: कीकड़ की फली 100 ग्राम सभी समान मात्रा में लेकर कूट कर छान लें। सेवन विधि : सुबह खाली पेट एक चम्मच चूर्ण गर्म जल से,रात्रि में सोने के समय एक चम्मच गर्म जल से यह प्रयोग कम से कम तीन माह तक अवश्य करें लाभ होगा।

योगी योगानंद { अध्यात्म ,योग गुरु एवं प्राकृतिक चिकित्सक }




हड्डियों से कट-कट की आवाज आना


अगर हड्डियों से कट-कट की आवाज आती है, यानि की चलते हैं, उठते हैं, बैठते हैं तो आपके घुटनों से, कोहनी से हड्डियों से आवाज आती है, तो क्या ये कोई बीमारी है या फिर ये सिर्फ एक वहम है, बहुत से लोगों को लगता है कि इस प्रकार की आवाज आने का मतलब है कि उनकी हड्डियाँ कमजोर हो चुकी हैं, तो आज हम आपको यही बताने वाले हैं कि आखिर सच क्या है। हड्डियों से चटकने की आवाज क्यों आती है डॉक्टर्स का मानना है कि उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों के कार्टिलेज खराब हो जाते हैं। जिससे चलने-फिरने में हड्डियां आवाज पैदा करती हैं। हालांकि कई बार जोड़ों में दर्द और सूजन होने पर भी ऐसा हो सकता है। जिन लोगों की सर्जरी हुई होती है उनकी हड्डियों से भी चटखने की आवाज आती है। कई बार चोट लगने के बाद भी ऐसा होता है। हड्डियों से चटखने की आवाज, हो सकती है ये बीमारी मांसपेशियों को नुकसान- कई रिसर्च में ये पाया गया है कि मांसपेशियों में खिंचाव होने पर भी हड्डियों से चटकने की आवाज आने लगती है। अगर आपकी मांसपेशियों में स्ट्रेस है तो ये समस्या हो सकती है। कार्टिलेज का नुकसान- बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों से चटकने की आवाज आने लगती है। आपको मोटे जोड़ों की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में हड्डियों से और दूसरे जॉइंट से आवाज आने लगती है। गठिया- जिन लोगों को गठिया की बीमारी होती है उनकी हड्डियों के जॉइंट्स खराब होने लगते हैं। गठिया होने पर कार्टिलेज खत्म हो जाता है और हड्डियों से चटखने की आवाज आने का खतरा रहता है। यदि किसी बच्चे को या किशोर अवस्था में किसी की हड्डियों से आवाज आ रही है और उसे हड्डियों में कोई दर्द या परेशानी का अनुभव नही हो रहा है तो आप निश्चिन्त हो जायें, यह कोई समस्या नही है, न तो उसकी हड्डियाँ कमजोर है न ही उसे कैल्शियम की की कमी है, इतना जरूर है कि उसकी हड्डियों में वायु अधिक है, इससे हड्डियों के जोड़ों में एयर बबल्स बनते हैं और टूटते हैं जिससे कट-कट की आवाज आती है। अगर इसका इलाज नही किया जाये तो बड़े होने पर समस्या हो सकती है, इसके लिए रात में आधा चम्मच मेथी दाना पानी में भिगो दें, और सुबह इन दानों को चबा चबा के खा लें और पानी पी लें, इससे एयर बबल्स की समस्या खत्म हो जाएगी। यही समस्या अगर बढती उम्र में हो और हड्डियों में दर्द भी हो, तो इसका कारण ये है कि हड्डियों के जोड़ों में लुब्रिकेंट की कमी हो चुकी है, इसके लिए भी मेथी दाना वाला उपाय तो करना ही है साथ ही कैल्शियम की कमी को भी पूरा करना है,

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उपाय --

1 हल्दी वाला दूध का सेवन जरूर कीजिये, इसके अलावा दिन में एक बार गुड़ और भुने हुए चने का सेवन करें, इससे हड्डियों की कमजोरी दूर होगी और कट-कट की आवाज आनी बंद हो जाएगी। 2 . दो सूखे सिंघाडे रात में पानी में डाल दें और सुबह उन्हें खा जाएँ ऐसा ४० दिन तक करने से घुटनों की समस्या ठीक हो जाती है | 3 . घुटनों के गैप से छुटकारा पाने के लिए आप बबूल के चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं। बबूल में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो शारीरिक कमजोरी के साथ-साथ हड्डियों की कमजोरी को भी दूर करता है और घुटनों का गैप भरने में सहायता करता है। हर रोज एक गिलास दूध में एक चम्मच बबूल के चूर्ण का सेवन करें। 4 . हड्डियों को दर्द से मुक्ति दिलाने में अखरोट बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ है। यहां हर प्रकार के हड्डियों के दर्द को लगभग पूरी तरह से ठीक कर देता है साथ ही इसका नित्य सेवन करने से हड्डियों का गैप भी भरता है और शरीर को शक्ति मिलती है। 5. सहजन के पत्ते आपके घुटनों के गैप भरने में बहुत ही उपयोगी है। दो गिलास पानी में 10 ग्राम सहजन के पत्ते को उबालें। जब पानी एक-चौथाई चौथाई बचे तो इसे छान लें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। 6 . शरीर में धातुओं की कमी, अस्थि की कमजोरी, शारीरिक कमजोरी और विटामिन बी 12 की पूर्ति के लिए सफेद मूसली का प्रयोग करें। सफेद मुसली अकेले ही इन सभी कमियों की पूर्ति करता है और शरीर को स्वस्थ बनाता है। 7 . निर्गुणी के पत्ते का काढ़ा भी शरीर में कैल्शियम की कमी को दूर कर घुटनों का गैप भरने में बहुत ही लाभदायक है। 20 ग्राम निर्गुंडी के पत्ते को दो गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक एक चौथाई ना हो जाए। इसके बाद पानी को छानकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। 8. हर रोज आधा कच्चा नारियल खाने से बुढ़ापे में भी कभी आपको घुटनों के दर्द का परेशानी नही होगी। 9 . पाँच अखरोट प्रतिदिन खाली पेट खाने से आपके घुटने में कभी कष्ट नही होगा। 10. रोज रात को सोने से पहले एक ग्लास दूध ने हल्दी डाल कर पीने से आपको हड्डियों में दर्द की समस्या से मुक्ति मिलेगी।एक दाल के दाने के बराबर थोड़ा सा चूना (जो आप पान में लगा कर खाते है) को दही में या पानी में मिला कर पीने से आपको हड्डियों में कभी दर्द नही होगा। चूने के पानी को हमेशा सीधे बैठकर ही पिए इससे आपको जल्दी आराम होगा। यह औषधि सिर्फ 1 महीने पीने से ही शरीर की किसी भी हड्डी में दर्द हो तो वो जल्दी ठीक हो जाएगा। 11. हड्डियों के दर्द से बचने के लिए आप अपने भोजन में 25% फल और सब्जियों को शामिल करेगे तो आपको कभी भी हड्डियों के दर्द का सामना नहीं करना पड़ेगा। 12 . नारियल, सेब, संतरे, मौसमी, केले, नाशपति, तरबूज और खरबूजे आदि फलों का सेवन हर रोज जरुर करे। 13 गोभी, सोयाबीन, हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ खीरे, ककड़ी, गाजर, और मेथी को अवश्य शामिल करे। 14 . दूध और दूध से बनी चीजे भरपूर मात्रा में खाए और कच्चा पनीर भी भोजन में शामि।ल करे, ऐसा करने से आपके जोड़ों के दर्द में कमी आएगी। 15. मोटा अनाज, मकई, बाजरा, चोकर वाले आटे की रोटियों का जरुर उपयोग करे। क्योंकि इनमे वो सभी तत्व होता है जो आपकी हड्डियों और जोड़ो के दर्द से मुक्ति दिलाता है।

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लेख - योगी योगानंद




जोड़ों की समस्या से मुक्ति - शोधन तकनीक { Cure Knee pain } भाग एक


नियमित जीवनशैली, एसिडिक खाद्य पदार्थों का सेवन ,आराम पसंद आधुनिक जीवन शैली ,खाद्य पदार्थों में मिलावट, प्रकृति से दूरी ,एक्सीडेंट, मोटापे, गठिया बाय, अधिक कमजोर होने या फिर बढ़ती उम्र ,अखाद्य वस्तुओं का सेवन के चलते आज घुटनों का दर्द विश्वव्यापी समस्या बन गया है इसका जैसे-जैसे इलाज किया जा रहा है मर्ज और भी बढ़ता जा रहा है इस महामारी के सामने सभ्य समाज अपने आप को पूर्णता असहाय महसूस कर रहा है एलोपैथी में डॉक्टर इसका इलाज घुटनों को बदलवाने की सलाह ऐसे देते हैं जैसे घुटने नहीं कपड़े बदलना हो, घुटने बदलने के बाद कुछ समय तात्कालिक आराम मिलता है परंतु समस्या फिर विकराल रूप से प्रकट हो जाती है भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने घुटनों के ऑपरेशन के बाद और अधिक कष्ट में जीवन जिया और फिर कभी पैरों के बल खड़े नहीं हो सके इस विकराल समस्या का समाधान आप प्रकृति के साथ जुड़कर स्वयं कर सकते हैं |

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आहार और घुटनों की समस्या

भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते है ----- युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु । युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा ॥ अर्थात जिन लोगो का आहार विहार नियमित रहता है, उन्हें कोई भी बीमारी स्पर्श भी नहीं कर सकती है | आहार का घुटनों की समस्या से बहुत घनिष्ट सम्बन्ध है , नॉवेल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. ओटो वान वर्ग लिखते है, कि कैंसर , घुटनों की बीमारी, उच्च रक्तचाप , थाइरॉइड, हृदय रोग , किड़नी रोग सहित लगभग १००० बीमारियाँ एसिडिक भोजन करने से ही उत्पन्न होती है | हमारे भोजन में ८० प्रतिशत भाग छारीय { एल्केलाइन } और २० प्रतिशत भाग अम्लीय { एसिडिक } होना चाहिए | पर होता उल्टा है, जिसके कारण हम अनेक बिमारियों के शिकार हो रहे है, हमारे भोजन में तीन हमारे दुश्मन है, जिन्हे हम चाहकर भी नहीं छोड़ सकते , अगर आप घुटनों की समस्या से निजात चाहते है तो आपको आज जो बताया जा रहा है, उसका पूरी तरह से अनुसरण करना होगा | १. नमक - समुद्री नमक अनेक बीमारियों की जड़ है , यह समुद्री जीव जन्तुओं के अवशेषों से बनता है, जो जोड़ों में होने वाली परेशानियों की प्रमुख जड़ है , समुद्री नमक में सोडियम होता है, जिसकी उपस्थिति में कोशिकाएं पानी को अवशोषित कर लेती है, फलस्वरूप जोड़ों में सूजन उत्पन्न होती है | मुस्लिम समुदाय के लोग मरने के बाद शव को गाड़ने पर नमक डाल देते है, और ५-६ महीनों में हड्डियाँ भी गल जाती है , हम वर्षो से इसी नमक को अपने शरीर में डालकर , सम्पूर्ण शारीर को गलाने का काम कर रहे है. फिर आप बिना नमक छोड़े अपने घुटनों के ठीक होने की कल्पना भी कैसे कर सकते है,| समुद्री नमक के स्थान पर अभी से सेंधा नमक का उपयोग करे, इसमें पोटेशियम होता है, जिससे सूजन और जोड़ो का दर्द ही ठीक नहीं होता बल्कि यह छारीय { एल्केलाइन } होने के कारण हजार बीमारियां स्वत: ठीक होने लगती है | २. शक्कर - शक़्कर वाले खाद्य पदार्थ रक्त में यूरिक एसिड बढ़ाते हैं जिसके कारण गठिया , घुटनों की समस्या और ब्लड प्रेशर की परेशानी हो सकती है।चीनी से शरीर में सूजन आती है जो कैंसर का एक बड़ा कारण होता है। जो लोग अधिक चीनी लेते है उन्हें कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।चीनी लेने से इन्सुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है जिसके कारण मोटापा और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।इन्सुलिन बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी उपस्थिति में ही कोशिका ग्लूकोज का उपयोग कर पाती हैं। रक्त में ज्यादा शक्कर होने से कोशिका में इन्सुलिन का प्रतिरोध शुरू हो जाता है। सफ़ेद चीनी सल्फ़र से साफ की जाती हैं ,| सल्फर का प्रयोग पटाखें बनाने में उपयोग होता है | सल्फर को पचाने के लिए हमारा पाचन तंत्र तेजी से कैल्शियम का उपयोग करने लगता है, जिससे हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा कम होने से वे कमजोर हो जाती है , जिससे घुटनो की समस्या उत्पन्न होती है | अगर आप घुटनों की समस्या से निजात पाना चाहते हैं , तो आज से ही धागे वाली मिश्री , खांड चीनी , या गुड़ का प्रयोग शुरू करें | ३. रिफ़ायन तेल -- रिफाइंड ऑयल में अनेक प्रकार के रसायनों का उपयोग होता हैं , जिससे तेल की चिकनाई ,गंध को समाप्त कर दिया जाता है, इसके खाने से पेशाब के माध्यम से कैल्शियम शरीर से बाहर निकलने लगता है, कैल्शियम हड्डियों के लिए आवश्यक ही नहीं है,बल्कि मेटाबोलिज्म के लिए भी जरुरी है | रिफाइंड ऑयल को रिफाइंड करने के लिए कई तरह के केमिकल प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। दरअसल, इसे प्यूरीफाई करने के लिए न सिर्फ हेक्सेन नामक रसायन का प्रयोग किया जाता है, बल्कि रिफाइंड ऑयल तैयार करने के लिए पहले ऑयल की पीयूएफ अर्थात रैंकिड पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड प्रक्रिया निभाई जाती है और यह प्रक्रिया केवल उच्च तापमान पर ही संभव है। ऐसे में जब तेल की रिफाइनिंग के दौरान जब तेल को बहुत उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है तो यह ऑयल ऑक्साइड होकर ट्रांसफैट में तब्दील हो जाता है। प्रोटीन शरीर के लिए आवश्यक घटक है। आप पारंपरिक तेलों के इस्तेमाल के दौरान एक गंध महसूस करते हैं, वह उसमें मौजूद प्रोटीन के कारण होता है। लेकिन रिफाइंड ऑयल की प्रोसेसिंग के दौरान उसकी गंध को दूर किया जाता है, मतलब आप उस तेल में से प्रोटीन निकाल कर अलग कर देते हैं। ऐसे में उस तेल के इस्तेमाल से आपको किसी प्रकार के पोषक तत्व प्राप्त नहीं होते। रिफाइंड ऑयल को इस्तेमाल करने के पीछे लोगों की एक सबसे बड़ी धारणा यह होती है कि यह कोलेस्ट्रॉल फ्री होते हैं, जिसके कारण इन्हें हॉर्ट के लिए हेल्दी माना जाता है। शायद आपको पता न हो लेकिन इन्हीं कोलेस्ट्रॉल फ्री ऑयल में फैटी एसिड भी नहीं होते। यह फैटी एसिड शरीर के लिए काफी जरूरी माने जाते हैं और ऑयल में फैटी एसिड न होने के कारण आपको जोड़ों व स्किन के साथ−साथ कई तरह की समस्याएं भी पैदा करते हैं। अगर घुटनों की समस्या से छुटकारा चाहते है तो आज से ही फिलटर्ड ऑइल का प्रयोग न करें. |

घुटनों की समस्या - शोधन तकनीक - चमत्कारिक परिणाम

यह प्रकृति का नियम है , कि मनुष्य की प्राणशक्ति { जीवनी शक्ति } उसे निरोग रखने के लिए किसी भी रूप में एकत्र हुए विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की कोशिश करती रहती है | संत विनोबा भावे के अनुसार रोग निवारण की दृष्टि से शोधन का प्रथम स्थान है , जिसे पंचकर्म ,या आधुनिक युग में प्राकृतिक चिकित्सा कहा जाता है | अम्लीय पदार्थों ,अनियमित जीवन शैली , व्यायाम का अभाव , मिलावटी भोज्य पदार्थों एवं कृषि में अंधाधुंध रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग के चलते शरीर में तेजी से विषैले पदार्थ एकत्रित हो जाते है, जो शरीर स्वाभाविक रूप से बाहर नहीं निकल पाता और ये जोड़ों , अस्थियों , रक्त में जमा हो जाते है, और जोड़ो की समस्या का कारण बनते है, यह हमारा दुर्भाग्य है, कि जो हम विदेशी चिकित्सा अपनाते है, उसमे शरीर के शोधन की कोई व्यवस्था नहीं है , उल्टा इनके पाए जाने वाले जहरीले केमिकल शरीर में और अधिक विषैले पदार्थ एकत्रिक करके और अधिक तकलीफ बढ़ा देते है डॉ.. रैम्जे ने लिखा है - वर्तमान चिकित्सा पद्धति अस्पस्ट , खोखली ,और असंगत कल्पनाओं का संग्रह मात्र हैं , हमारी कोई भी दवा किसी को भी लाभ नहीं पहुँचाती ,यही नहीं यह रोगों को और अधिक बदतर बना देती है , अगर सभी एलोपैथी दवाएं समुद्र में फेंक दी जाएँ, तो यह मानव जाति को सबसे ज्यादा हितकारी होगा, परन्तु समुद्री जीव जंतु जरूर मर जायेगे | हम अपने बाहरी शरीर की तो हर दिन सफाई करते है, परन्तु कभी आंतरिक सफाई पर ध्यान नहीं देते , आज में आपको ऐसी अद्भुत ,चमत्कारिक शोधन तकनीके { Cleanging Techniques } बताने जा रहा हूँ , जिनमे से किसी को भी आप अपनाकर कुछ ही दिनों में अपनी घुटनो की समस्या से छुटकारा पा सकते है | शोधन तकनीक , योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा की प्रमुख विधि है, जिनके माध्यम से शरीर से विजातीय तत्वों को निकाल बाहर किया जाता है, इन्हें अपनाकर आप अपने घुटनों की समस्या ही नहीं, बल्कि सभी बीमारियों से निजात पा सकेंगे | आप किसी भी तकनीक को अपना सकते है

पहली तकनीक -1 . नंगे पैर जमीन पर चलना -

पृथ्वी में अद्भुत चमत्कारिक शक्ति है, इससे हमें प्राण वायु , भोजन , पानी ,आवास जैसी बुनियादी आवश्यक चीजें प्राप्त होती है, जिनके बिना जीवन संभव नहीं है, इस प्रकार ये हमारी माँ है, जिससे हमने दूरी बना ली है , आधुनिक जीवन शैली के चलते हम न तो जमीन पर बैठते है, न सोते है, और न ही संपर्क में रहते है, घरों को हमने सुन्दर सुन्दर टाइल्स से सजा कर रखा है , जिसके दुष्प्रभाव हमें बीमारियों के रूप में देखने को मिल रहे है, पृथ्वी पुरष्कार भी देती है और दण्ड भी | आपने कभी विचार किया कि हॉस्पीटल , डॉक्टर बढ़ते जा रहे है, हर दिन नयी-नयी दवाओं का अविष्कार हो रहा है, फिर भी बीमारियाँ कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है, मतलब साफ है, हम अपनी जननी से दूर हो गए है, | प्रसिद्ध प्राकृतिक विज्ञानी एडवर्ड जस्ट जिन्होंने return to nature पुस्तक लिखीं { यह पुस्तक हिंदी में भी है, जो आपको ग्रुप में भेजी जा रही है } , जिसे पढ़कर गाँधी जी ने एक दिन मिटटी की पट्टी पेट पर रखी और उन्हें चार साल पुरानी कब्ज़ से एक बार में ही मुक्ति मिल गयी | एडवर्ड जस्ट लिखते है,कि दुनिया में 12600 प्रकार की बीमारियों की ख़ोज की जा चुकी है, जिनमे से 10,000{दस हजार } प्रकार की बीमारियाँ पृथ्वी पर नंगे पैर चलने से ठीक हो जाती है | आप प्रतिदिन 30 मिनिट नंगे पैर जमीन पर चले और खुद चमत्कार देखें , { मेरे तीन दिन में डायबिटीज { जिनकी शुगर कभी 500 से कम नहीं होती थीं } और 30 दिन में किडनी के मरीज { जिनकी डॉयलेसिस शुरू होने जा रही थी } ठीक होते देखे है | पृथ्वी पर चलने से आपको तीन फायदे होगे 1 . पृथ्वी से पंच तत्व मिलेंगे , जिससे सभी प्रकार की बीमारियां ठीक होगी, क्योंकि पंच तत्त्व के असंतुलन से सभी बीमारियां होती है || 2 . पृथ्वी पर नंगे पैर चलने से पृथ्वी सभी विषैले तत्व आपके शरीर से खींच लेगी , कोई भी सड़ी गली वस्तु पृथ्वी में गाड़ने से पृथ्वी उसे अपने जैसा अनमोल बना देती है | 3. पृथ्वी से प्राण ऊर्जा मिलती है, जो शरीर से सभी बीमारियों को समाप्त करके निरोग बनाती है |

द्वितीय तकनीक - एप्सम साल्ट { Epsom salt }-

एप्सम साल्ट {यह सेंधा नमक नहीं है ,इसे मैग्नेसियम सल्फेट के नाम से जानते है } इसको बाथ टब में गुनगुने पानी में मिलकर 20 मिनिट तक उसमे लेटकर नहाने से शरीर के विषैले पदार्थ निकल जाते है | अगर टब उपलब्ध नहीं है, तो एक बाल्टी में गुनगुना पानी भरकर उसमें एप्सम साल्ट ड़ालकर उसमे पैर डालकर बैठें ,और घुटनों पर लगातार गुनगुना पानी डालते रहें | अगर बाल्टी की भी सुविधा नहीं है, तो आप गुनगुने पानी में एप्सम साल्ट डालकर एक तोलिये को गीली करके उसे घुटनों पर रखकर जोड़ो को ठीक कर सकते है | नोट - एप्सम साल्ट आपको केमिस्ट की दुकान पर मिल जायेगा |

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तीसरी तकनीक- सेब साइडर सिरका (Apple Cider Vinegar)

सेब का सिरका भी जोड़ों के दर्द से राहत देने में बहुत अच्छा असर दिखाता है। यह जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत देता है। किसी कपड़े को सेब के सिरके में भिगोकर दर्द वाले स्थान पर लपेंटें और कुछ घंटों के लिए छोड़ दें। दिन में दो बार इस विधि को करें। दो कप सेब साइडर सिरका को गुनगुने पानी में डालकर नहाया भी जा सकता है। एक गिलास पानी में कच्चा सेब साइडर सिरका और शहद मिलाकर पीने से भी लाभ होता है।

शरीर को करे विषैले तत्वों से मुक्त सामग्री :- एप्सम नमक – Epsom Salts बेंटोनाइट मिट्टी – Bentonite Clay ACV – Apple Cider Vinegar गर्म पानी विधि :- गर्म पानी में एप्सम नमक डाल दें | जब तक पानी ठंडा हो रहा है दूसरी तरफ आप 2 चमच Bentonite clay और 1 चमच ACV मिक्स करे और इस मिश्रण की परत आपने पैरो पर लगाये और 10 मिनटों तक सूखने दें | अब आपका नमक वाला पानी नार्मल तापमान तक आ गया होगा और अपने पैरो को इस पानी में 15 मिनटों तक भिगों कर रखें | जब तक आप आपने पैरो को धोएंगे आपका शरीर विषैले तत्वों से मुक्त हो जाएगा | आजकल की निष्क्रिय जीवन शैली के कारण हमारे शारीर में खून का संचालन कम होता है ख़ास कर टखनो, पांवों और टांगो के निचले हिस्से में | जिस के कारण बहुत सारे विषैले तत्व हमारे शरीर में जमा हो जाते हैं जो आगे चलकर बीमारियों की वजह बनते हैं | पांचवी तकनीक क्लींजिंग पैड इस समस्या का समाधान है पैरों के नीचे लगाने वाला क्लींजिंग पैड { Detoxifying pad} ये आपके शारीर में खून और लसीका के बहाव में मदद करता है , संवेदनशील बिंदुओं को उत्तेजित करता है और शरीर से विषैले तत्वों को सोख लेता है | क्लींजिंग पैड {Detox Pad }चिपकाए जाने वाले पैड होते हैं जिन्हें आप शाम को सोने से पहले शरीर से विषैले तत्वों को निकलने के लिए पांव के नीचे लगा सकते हैं | आप ये पैड बाज़ार से भी खरीद सकते हैं मगर इनकी कीमत हमेशा कम नही होती दूसरा तरीका ये है के आप अपना फुट पैड (Foot Pad) घर में बनाये | Foot Detox Detox पैड बनाने का तरीका: • चिपकने वाला कपडे का पैड (Self-stick gauze pads) लहसुन (garlic) प्याज़ (onion) पानी (water) मोज़े (socks) सबसे पहले लहसुन और प्याज़ को बारीक़ काट लें, एक केतली में थोड़ा सा पानी डालें और इसे उबाल लें, फिर लहसुन और प्याज डालें और फिर 10 मिनट के लिए और उबाल लें | इस घोल को ठंडा होने के बाद चिपकने वाले कपडे के पैड (Self-stick gauze pads) पर डाल कर अपने पैरों के तलवों पर चिपका लें और ऊपर से मोजे पहन लें | अगली सुबह आप प्रभाव देखेंगे, पैड आपके के शरीर के विषाक्त पदार्थों से काला हो जाएगा । क्लींजिंग पैड { Detox pad } के प्रभाव - 1. . विषाक्त पदार्थों का निष्कासन और शरीर की सफाई करता है, जिससे दर्द तेजी से काम होने लगता है | 2. पूरे शरीर पर रोग निवारक प्रभाव डालता है | 3. संवेदनशील बिंदुओं को उत्तेजित करता है | 4. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है | 5. शरीर की कार्य प्रणाली को मजबूत बनाता है | 6. आप की जीवन शैली में बदलाव ला कर आप को ज्यादा उर्जा पर्दान करता है | आप को बिमारियों से बचाता है |

Technique 6 निरामय साबुन निरामय साबुन -- आजकल बाजार में जो नहाने के साबुन उपलब्ध है, उनमे लोरियल सल्फेट मिलाया जाता है, जो जानवरों की चर्बी से बनता है, ऐसी साबुन से नहाने पर त्वचा के रोम छिद्र इसकी चिकनाई से बंद हो जाते है, फलस्वरूप विषैले तत्त्व शरीर से बाहर नहीं निकल पाते , और जोड़ों की बीमारी का कारण बनते है, निरामय साबुन एक हर्बल जड़ी बूटियो और भस्मों से बनायीं गयी साबुन है, जिससे निम्न लिखित लाभ होते है 1. इस साबुन से नहाने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते है, | 2 . नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है | जिससे मानसिक लाभ होता है | 3. शरीर में प्राण ऊर्जा की बृद्धि होती है, जिससे शरीर की समस्त बिमारियों में लाभ मिलता है | 4 . शरीर के दर्द में फायदा मिलता है | 5 . त्वचा सम्बन्धी रोगों में फायदा मिलता है | 6. बालों का गिरना, डेन्ड्रफ , त्वचा का कालापन आदि में तुरंत लाभ मिलता है | नोट - 1 शोधन विधियों को अपनाने के कुछ समय बाद आपकी पीड़ा बढ़ सकती है, ऐसा शरीर से विजातीय तत्त्व निकलने के कारण होता, इससे घबराये नहीं | यह ठीक होने का प्रथम लक्षण है |




पृथ्वी तत्त्व का संतुलन


पृथ्वी तत्व के अंग – अमाशय , पेन्क्रियाज , स्पलीन संवेदी अंग – मुँह , ओंठ , मसलस मौसम – बरसात दिन का समय – सुबह 7 बजे से 11 बजे तक { सुबह 4 घण्टे पृथ्वी तत्त्व चलता है } महीने – जुलाई , अगस्त रंग – पीला स्वाद – मीठा स्वभाव – सुस्ती , फैलाव , समझदारी ध्वनि – सिंगिंग आयु –36 से 48 वर्ष तक जीवन में पृथ्वी तत्त्व का समय होता है | चक्र – मणिपुर चक्र ऊर्जा – आद्रता

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पृथ्वी तत्व की बीमारियाँ –

शारीरिक

शरीर में सूजन आना मलेरिया टॉन्सिस मोटोर न्यूरॉन डिजीज डायबिटीज फ्रोज़ेन शोल्डर लंबर कम्प्रेशन भूख की कमी कब्ज जुकाम फ़ूड पोइसीनिंग जोड़ों में दर्द मोटापा एड़ी में दर्द गैस्ट्रिक उल्टियाँ पेट दर्द पैरों में कमजोरी पैरों में सुन्नपन शरीर के अंगो में प्राण शक्ति की कमी एसिडिटी ट्रीजमीनल न्यूरोग्लिआ पिंपल्स थकान लगना शरीर का तापमान अधिक रहना ओंठो का फटना डायरिया पाचन तंत्र की ख़राबी गले में तकलीफ म्यूकस मेम्ब्रेन में सूजन

मानसिक समस्याऐं

बात बात पर दुखी हो जाना छोटी छोटी बात की चिंता करना सोचने की काम शक्ति

पृथ्वी तत्त्व के गुण

लोचकता प्रदान करना खुरदरापन भारीपन कठोरता थामने की शक्ति सहनशीलता आधार प्रदान करना भरण पोषण करना

पृथ्वी तत्व के संतुलन के उपाय

1 . मध्यमा , { Middle Finger } में अँगूठे तरफ हरा रंग लगाये , दोनों हाथों की अँगुलियों , दोनों तरफ़ ,दिन में तीन बार रंग लगायें , रोग के पूरी तरह ठीक होने तक लगाते रहे, यह रंग आप स्केच पेन से लगा सकते है | { चित्र में दिए गये अनुसार } 2. प्रतिदिन कम से कम 30 मिनिट्स नंगे पैर जमीन या घास पर चलें | 3. पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास करें | 4 . मणिपुर चक्र की साधना करें | 5 . पृथ्वी तत्त्व की साधना करें | 6 . समान नामक प्राण का ध्यान करें |

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योगी योगानंद { आध्यात्मिक गुरू , एवं प्राण योग के प्रणेता }




जल तत्त्व

जल तत्व की महत्वपूर्ण जानकारी

जल तत्व के अंग – किड़नी , मूत्राशय संवेदी अंग – कान , अस्थियाँ ,नाख़ून मौसम – शीत ऋतु दिन का समय – दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक | महीने – नवम्बर , दिसम्बर रंग – नीला , काला स्वाद – नमकीन स्वभाव – डर और चिन्ता ध्वनि – कराहने की आवाज़ गन्ध – सड़ा हुआ आयु – 60 से वर्ष मृत्यु पर्यन्त तक चक्र – मूलाधार चक्र ऊर्जा – शीतलता जल तत्त्व का शरीर में स्थान जल रक्त हारमोंस मूत्र लार वीर्य आंसू

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जल तत्व की बीमारियाँ–

शारीरिक

बालों की रूसी स्मरण शक्ति की कमी शरीर पर झुर्रियाँ सर्दी -जुकाम ओस्टेओ आर्थराइटिस ओस्टेओ पोरोसिस कार्टीलेज का घिसना रीढ़ की अस्थि में समस्या रक्त की कमी गंजापन बालों का सफ़ेद होना कानों की समस्या प्रोस्ट्रेट किड़नी की समस्या रात में बार -बार पेशाब आना मुँह का सूखना थकान कमज़ोरी घुटनों की तकलीफ साइनस प्रजनन सम्बन्धी रोग अचानक चोट लगना मसल्स में दर्द सर दर्द आँखों में दर्द आँसू आना निम्न रक्त चाप शरीर में कड़ापन कूल्हे में दर्द

मानसिक समस्याऐं

अवसाद विचारों की अस्पष्टता अकेलापन असुरक्षा गुस्सा आना नींद न आना भुलक्कड़ सपने आना हीनता की भावना भय जीवन से बिलगाव सामाजिक दूरी

संतुलन के उपाय

कृपया आपको निम्न लिखित उपायों का पालन करना अनिवार्य है | 1 . मध्यमा , { Middle Finger } में छोटी अँगुली तरफ पीला रंग लगाये , दोनों हाथों की अँगुलियों में , दोनों तरफ़ ,दिन में तीन बार रंग लगायें , रोग के पूरी तरह ठीक होने तक लगायें | यह पीला रंग आप स्केच पेन से भी लगा सकते है, अगर हल्दी का प्रयोग करेगे तो ज्यादा जल्दी अच्छे परिणाम मिलते है | { चित्र में दिए गये अनुसार } 2 . रात्रि में तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखे, सुबह सबसे पहले खाली पेट पियें | 3. पानी को प्राण ऊर्जा युक्त बनाकर पियें , इससे शरीर के समस्त रोग कुछ समय में ही ठीक हो जाते है | 4. छह महीने से जिन परिचित लोगों से बात नहीं की है, उनसे बात करना शुरू करें | 5. घर से बाहर जाकर लोगों से जान – पहचान बढ़ायें | 6. किसी की शिकायत न करें और न ही किसी से अनुरोध करें | 7. रात्रि के समय अपने बिस्तर के पास स्वच्छ जल से भरकर कोई बर्तन जरूर रखें | 8. नदी , झील , तालाब , समुद्र में स्नान जरूर करें | 9. जल तत्व का ध्यान करें | 10. जल का संरक्षण करें , फालतू न बहायें | 11. मूलाधार चक्र का ध्यान करें , उसकी फ़्रिक्वेन्सी का संगीत सुनें | 12. शनि ग्रह की पूजा अर्चना करें | 13 . प्राण योग जल तत्त्व ध्यान करें | 14. घूंट – घूंट पानी पियें |

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योगी योगानंद { आध्यात्मिक गुरू , एवं प्राण योग के प्रणेता }




अग्नि तत्त्व का संतुलन द्वितीय


अग्नि तत्व के अंग – मस्तिष्क , मेरुदंड संवेदी अंग – जननांग, नर्वस सिस्टम मौसम – गर्मी समय – शाम 7 बजे से रात्रि 11 बजे तक महीने – मई , जून रंग –नारंगी, संतरा , गुलाबी स्वाद – चटपटा स्वभाव – जोश , उत्तेजना , उमंग , मौज मस्ती ध्वनि – तेज हंसी आयु– 24 से 36 वर्ष चक्र – आज्ञा चक्र ऊर्जा – उग्र गर्मी गुण – जोशीला , क्रियाशील

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अग्नि तत्व के असंतुलन से उत्पन्न बीमारियाँ

शारीरिक समस्यायें

अप्पर मोटोर न्यूरॉन डिजीज लोअर मोटोर न्यूरॉन डिजीज लकवा , पार्किन्सन , गर्भाशय में गाँठे , ब्रेस्ट टयूमर , मिर्गी , रेटीना की समस्या , ट्रिजेमिनल न्यूराग्लिया , तकलीफ़दायक मासिक धर्म , फ़िब्रोइडस , रक्तस्राव , उल्टियाँ , कन्धों में दर्द , हाथ -पैरों में दर्द , गर्दन में दर्द , भूख़ में कमी , मानसिक और शारीरिक थकान

मानसिक समस्याएं

लापरवाह , सिद्धांतवादी , घमण्डी , भ्रमित रहना , गुस्सा आना , चिड़चिड़ापन , ग़ैर जिम्मेदार , नकारात्मक विचार , बात -बात पर उत्तेजित हो जाना , सहनशीलता का अभाव |

संतुलन के लिए उपाय

1. तर्जनी , { Index Finger } के बीचों बीच नीला रंग लगाये , दोनों हाथों की अँगुलियों , दोनों तरफ़ ,दिन में तीन बार रंग लगायें , रोग के पूरी तरह ठीक होने तक लगायें | इसके लिए आप नीला पेन या स्केच पेन का प्रयोग कर सकते है { चित्र में दिए गये अनुसार } 2 . प्रतिदिन सूर्योदय से पहले सोकर उठ जाये, और नंगी आँखों से ऊगते हुए सूर्य को देखें | 3 . प्रतिदिन सुबह 7 बजे से 11 बजे तक भोजन अवश्य कर लें | 4 . प्रतिदिन कम से कम 21 मिनिट्स प्राण योग चक्र ध्यान जरूर करें | 5 .समय – समय पर अपने शूक्ष्म शरीर की सफ़ाई करते रहे | अर्थात आभा मंडल की सफाई और उसको बढ़ाने के प्रयास करें | 6. आज्ञा चक्र को संतुलित करने हेतु प्राण योग ध्यान करें | 7 . अग्नि मुद्रा का अभ्यास करे, | 8 . अग्नि तत्त्व को बढ़ाने वाले पदार्थ जो आपको पसंद हो, जैसे लहसुन , अदरक , तेज पत्ता, जायफल , लौंग, काली मिर्च , मसालेदार खाना , आदि का प्रयोग कुछ समय तक बंद कर दें |

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योगी योगानंद { आध्यात्मिक गुरू , एवं प्राण योग के प्रणेता }




अग्नि तत्त्व का संतुलन प्रथम

पञ्च तत्वों का रहस्यमयी संसार

अग्नि तत्व के अंग – ह्रदय , छोटी आंत संवेदी अंग – जीभ , रक्त वाहिनियां मौसम – गर्मी दिन का समय – सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक महीने – मार्च , अप्रैल रंग –लाल स्वाद – चटपटा, तीखा ,मिर्ची, मसालेदार l स्वभाव – जोश , उत्तेजना , उमंग , मौज मस्ती ध्वनि – तेज हंसी आयु– 12 से 24 वर्ष चक्र –विशुद्धि चक्र ऊर्जा – गर्म गुण – वृद्धि , विकास , जोशीला , क्रियाशील , जीवन में कुछ पाने की लालसा

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अग्नि तत्व की बीमारियाँ –

शारीरिक बीमारियां

कोलेस्ट्रॉल हीमोफीलिया ब्लड प्रेशर हृदय रोग सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस वेरिकोस वेन्स इंसोम्निया हाइपो थाइरोइड कब्ज़ बबासीर कार्पल टर्नल सिंड्रोम कन्धा और ह्रदय में दर्द शरीर का तापमान घटना , बढ़ना वृद्धि में रूकावट रक्त संचरण सम्बन्धी समस्या मायग्रेन अलसर गर्दन में दर्द जबड़े में सूजन वज़न में कमी आना उल्टियाँ होना दस्त होना ठण्ड ज्यादा लगना

मानसिक बीमारियां

ईर्ष्यालु प्रवृत्ति बेबाक बोलने की आदत उचित -अनुचित का विचार किए बिना जबाब देना बिना सोचे -बिचारे बोलना हिस्टीरिया अनियन्त्रित इच्छायें नशे की प्रवृत्ति

उपाय

| इसे ठीक करने के लिए कृपया आपको निम्न लिखित उपायों का पालन करना अनिवार्य है | 1. तर्जनी , { Index Finger } में छोटी अंगुली की तरफ नीला रंग लगाये , दोनों हाथों की अँगुलियों , दोनों तरफ़ ,दिन में तीन बार रंग लगायें , रोग के पूरी तरह ठीक होने तक लगायें | इसके लिए आप नीला पेन या स्केच पेन का प्रयोग कर सकते है { चित्र में दिए गये अनुसार } 2 . प्रतिदिन सूर्योदय से पहले सोकर उठ जाये, और नंगी आँखों से ऊगते हुए सूर्य को देखें | 3 . प्रतिदिन सुबह 7 बजे से 11 बजे तक भोजन अवश्य कर लें | 4 . प्रतिदिन कम से कम 21 मिनिट्स प्राण योग चक्र ध्यान जरूर करें | 5 .समय – समय पर अपने शूक्ष्म शरीर की सफ़ाई करते रहे | अर्थात आभा मंडल की सफाई और उसको बढ़ाने के प्रयास करें | 6. विशुद्धि चक्र को संतुलित करने हेतु प्राण योग ध्यान करें | 7 . अग्नि मुद्रा का अभ्यास करे, | 8 . अग्नि तत्त्व को बढ़ाने वाले पदार्थ जो आपको पसंद हो, जैसे लहसुन , अदरक , तेज पत्ता, जायफल , लौंग, काली मिर्च , मसालेदार खाना , आदि का प्रयोग कुछ समय तक बंद कर दें l 9. अग्नि तत्व को बढ़ाने वाले रंग जैसे लाल, गुलाबी, फिरोजा आदि का प्रयोग बंद कर दें l

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लेख - योगी योगानंद ( अध्यात्म एवं योग गुरु ) 🙏🏻🙏🏻🙏🏻




वायु तत्त्व का सन्तुलन

पञ्च तत्वों का रहस्य

वायु तत्व के अंग – लीवर , गाल ब्लैडर संवेदी अंग – आँख , मसल्स , जोड़ , साइनस , टेंडन दिन का समय – रात्रि 11 बजे से सुबह 3 बजे तक | महीने – जनवरी , फरवरी रंग – हरा स्वाद –खट्टा स्वभाव – चंचलता ध्वनि –चिल्लाना {Shouting} गन्ध – {Rancid} आयु – 0 से 12 वर्ष चक्र – अनाहत चक्र ऊर्जा –वायु { Air}

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वायु तत्व की बीमारियाँ –

शारीरिक

1. कमजोरी 2 . शरीर में कड़ापन 3 . श्वेत प्रदर 4 . एलर्जी 5 . लीवर सोराइसिस 6 . हेपेटाइटिस 7 . भूख न लगना 8 . पीलिया 9 . हार्मोन्स की समस्या 10 . उल्टियाँ होना 11 . आँखों की समस्या ‘ 12 . गठिया 13 . कफ 14 . खॉंसी 15 . कोलेस्ट्राल 16 . कम दिखाई देना 17 . आर्थराइटिस 18 . मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी 19 . सर दर्द 20 . पीठ दर्द 21 . पेशाब में तकलीफ 22 . मासिक धर्म की अनियमितता 23 . थकान 24 . एंजायटी 25 . कमर दर्द 26 . सर्वाइकल 27 . सायटिका 28 .माइग्रेन 29 . उच्च रक्तचाप

मानसिक समस्यायें

हमेशा आक्रामक रहना निराशा की भावना जल्दी गुस्सा हो जाना संयम का अभाव मूड स्विंग एकाग्रता की कमी भूलने की बीमारी हमेशा शिकायत करना हमेशा लड़ने की प्रवृति जल्दी उत्तेजित हो जाना , और जल्दी शान्त भी हो जाना विवाह संबंध में परेशानी आती है।

वायु सन्तुलन से होने वाले लाभ

उद्देश्य की प्राप्ति व्यवसाय में सफलता कैरियर में सफलता लोगों से सम्पर्क की कुशलता उत्पन्न करता है | परीक्षा में सफलता प्रेम की भावना का विकास स्वास्थ में वृद्धि सम्मान दिलाता है ‘ ज्ञान में बृद्धि भाग्य बहुत तेजी से बदलता है | स्मरण शक्ति में वृद्धि शान्ति का वातावरण निर्मित करता है | सम्पत्ति में बहुत तेजी से वृद्धि होती है | जनता को संबोधित करने की प्रवृति पैदा होती है | मष्तिष्क को शान्त करता है | बुरी आदतों में मुक्ति मिलती है |

वायु तत्त्व को सन्तुलित करने के उपाय

महोदय / महोदया , आपका वायु तत्त्व असंतुलित होने के कारण आपको सम्बंधित समस्या / समस्यायें हो रही है | इसे ठीक करने के लिए कृपया आपको निम्न लिखित उपायों का पालन करना अनिवार्य है | प्राण योग प्राणायाम करें | लीवर की जीवनी शक्ति बढ़ाने के लिए प्राण शक्ति का प्रयोग करें | सभी प्रकार के प्राणायाम जरूर करें | प्रतिदिन सूर्योदय से पहले सोकर उठ जाये, और 30 मिनिट्स तक तेज़ गति से टहलें | इस दौरान लम्बी गहरी साँस लें | प्रतिदिन सुबह 7 बजे से पहले अपने दैनिक क्रियाकलाप से मुक्त हो जायें | प्रतिदिन कम से कम 21 मिनिट्स प्राण योग प्राणायाम जरूर करें | समय पर अपने शूक्ष्म शरीर की सफ़ाई करते रहे | 8.आकाश और पृथ्वी तत्त्व की वृद्धि के प्रयास करें | 9 . वायु मुद्रा का अभ्यास जरूर करे, | 10. बीच की अँगुली , { Middle Finger } में बीच में कत्था रंग लगाये , दोनों हाथों की अँगुलियों , दोनों तरफ़ ,दिन में तीन बार रंग लगायें , रोग के पूरी तरह ठीक होने तक लगायें |

प्रसारण :-

योगी योगानंद { आध्यात्मिक गुरू , एवं प्राण योग के प्रणेता




आकाश तत्त्व

आकाश तत्त्व का संतुलन

आकाश तत्व के अंग – फेफड़े और बड़ी आँत संवेदी अंग – सुगंध { नाक } , स्पर्श { त्वचा } मौसम – शरद , पतझड़ दिन का समय – सुबह 3 बजे से सुबह 7 बजे तक | महीने – सितम्बर , अक्टूबर रंग – सफ़ेद , कत्था रंग , सिलेटी स्वाद – कसैला { सेम , अनार } कड़वा स्वभाव – उदासीन , रूखापन , शोक , चिड़चिड़ापन | ध्वनि – रोने की आवाज { Weeping } गन्ध – सड़ी वस्तुओं की तरह { Rotten } आयु – 48 से 60 वर्ष चक्र – स्वाधिष्ठान चक्र ऊर्जा – शुष्क {ड्राई }

yoga pose
आकाश तत्व की बीमारियाँ –

शारीरिक समस्याऐं

वायरस से संक्रमण गंजापन { बालों का गिरना , टूटना , झड़ना } . त्वचा रोग { एक्जिमा , सोराइसिस , फोड़े , फुंसिया , रूखापन , त्वचा का फटना } . नासिका रोग { साइनस , सर्दी , नाक से खून आना , एलर्जी , सर्वाइकल लिगामेन्ट का टूटना न्यूरॉन समस्या ऑस्टिओ आर्थराइटिस डिस्क प्रोब्लेम श्वसन सम्बन्धी रोग शरीर का तापमान अधिक होना कफ बनना अस्थमा पीठ और कंधा दर्द सीने में दर्द कब्ज अपेन्डिक्स कोलाइटिस बबासीर पायरिया मसूढ़ों की समस्या सर दर्द पेट दर्द अँगुलियों में दर्द कमजोरी महसूस होना पैरों में कमजोरी महसूस होना

मानसिक समस्याऐं

1 . जीवन से मोह भंग होना 2 . अवसाद का शिकार 3 . टालने की प्रवृति 4 . आलस्य 5 . थकान 6 .जल्दी भयभीत हो जाना

आकाश तत्त्व के गुण

शीतप्रधान प्रतिरोधी शक्ति का अभाव { जल्दी संक्रमण का ख़तरा } घेरने का गुण हल्कापन चिकनापन मुलायम

कृपया आपको निम्न लिखित उपायों का पालन करना अनिवार्य है |

1.प्राणयोग साधना करें | 2.फेफड़ों की जीवनी शक्ति बढ़ाने के लिए प्राणशक्ति क्रिया करें | 3.सभी प्रकार के प्राणायाम करें | 4.प्रतिदिन सूर्योदय से पहले सोकर उठ जाये, और नंगी आँखों से ऊगते हुए सूर्य को देखें | 5 . प्रतिदिन सुबह 7 बजे से पहले अपने दैनिक क्रियाकलाप से मुक्त हो जायें | 6 . प्रतिदिन कम से कम 21 मिनिट्स प्राण योग ध्यान जरूर करें | 7.समय पर अपने शूक्ष्म शरीर की सफ़ाई करते रहे | 8. वायु और अग्नि तत्त्व की वृद्धि के प्रयास करें | 9 . आकाश मुद्रा का अभ्यास करे, |

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